किसी इन्सान की बुराईयों या कमियों में अच्छाई या गुण देखना भी अपने आप में एक अनूठा गुण है। मैंने पापा को देखा छोटी-छोटी बातों में प्रोत्साहन देते हुए, बड़ी _बड़ी गल्तियों को क्षमा करते हुए; साधारण सी कविता का गुणगान करते हुए, मामूली से चित्र की आड़ी तिरछी लकीरों की बेवजह ही सराहना करते हुए। अच्छा लगता है, कुछ करने का, कर दिखाने का ख्वाब सच्चा लगता है।
Category: Short stories
प्लेटफार्म पर इंतज़ार
माथे पर नहीं थी कोइ शिकंज, ना मुख पर उलझन, कदम तेज़ थे, जोश अनोखा, आँखों में चमक नई थी, चहक रही वो जैसे मन ही मन, कुछ सपने बुनती डोल रही थी। आई सवारी, तब उठा समान बिन बोले ही बोल रही थी । झटपट द्वार किए बन्द, स्काईबैग को तब रोशन ने उठाया, … Continue reading प्लेटफार्म पर इंतज़ार
On Christmas Night
Nights are like long stretches of darkness, like shades of grey scattered against the white, like silent caves hidden in the wilderness. "What are nights for?", I asked? Do they mean something? Do they say something?